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कोटा जैन समाज द्वारा संचालित जैनम स्वास्थ्य एक होम्योपैथिक चिकित्सा केन्द्र है, जो केवल जैन समाज ही नहीं, सम्पूर्ण समाज के कल्याण हेतु मूल्य पर न्यूनतम दरों में चिकित्सा प्रदान करता है। यह एक चिकित्सा क्षेत्र में जैन समाज द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरल प्रभावी स्वास्थ सेवा का मंच है
Jainm-sewarth Seva Sanstha
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Jainmsewarth Seva Sanstha

About Jainm-sewarth Seva Sanstha
जैन धर्म में, स्वस्थ शरीर का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि यह आध्यात्मिक विकास और कर्मों के क्षय के लिए एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। एक स्वस्थ शरीर, मन और भावनाओं को शुद्ध रखने में मदद करता है, जिससे आध्यात्मिक प्रगति में सहायता मिलती है
जैन धर्म में स्वस्थ शरीर का महत्व:
आध्यात्मिक प्रगति का आधार: जैन धर्म में, स्वस्थ शरीर को आध्यात्मिक प्रगति के लिए एक आवश्यक उपकरण माना जाता है।
कर्मों के क्षय में सहायक: एक स्वस्थ शरीर, मन और भावनाओं को शुद्ध रखने में मदद करता है, जिससे कर्मों के क्षय में सहायता मिलती है।
शारीरिक और मानसिक पीड़ा से मुक्ति: जैन धर्म में, शारीरिक और मानसिक पीड़ा को कर्मों का परिणाम माना जाता है। स्वस्थ शरीर, इन पीड़ाओं से मुक्ति पाने में मदद करता है।
आत्म-नियंत्रण और नैतिक जीवन: जैन धर्म में, आत्म-नियंत्रण और नैतिक जीवन जीने के लिए एक स्वस्थ शरीर आवश्यक है।
अहिंसा का पालन: जैन धर्म में, अहिंसा (किसी को भी नुकसान न पहुंचाना) एक प्रमुख सिद्धांत है। स्वस्थ शरीर, अहिंसा के पालन में सहायक होता है।
तेजस शरीर: जैन धर्म में, तेजस शरीर (अग्निमय शरीर) को एक सूक्ष्म शरीर माना जाता है जो जीव को ऊर्जा प्रदान करता है। यह शरीर पाचन, ऊर्जा और मन की गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आहार और जीवनशैली: जैन धर्म में, आहार और जीवनशैली का स्वस्थ शरीर पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
**जैन धर्म में, सूर्यास्त के बाद भोजन न करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे पाचन क्रिया में सुधार होता है और नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है।
**जैन धर्म में, जमीन के नीचे उगने वाली सब्जियों, जैसे आलू और प्याज, से परहेज करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इनमें सूक्ष्मजीव होते हैं।
**जैन धर्म में, शाकाहारी भोजन और शहद से परहेज करने की सलाह दी जाती है।
**जैन धर्म में, ध्यान और योग का भी स्वस्थ शरीर के लिए महत्व है।
निष्कर्ष:
जैन धर्म में, स्वस्थ शरीर को आध्यात्मिक प्रगति, कर्मों के क्षय, और आत्म-नियंत्रण के लिए एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। एक स्वस्थ शरीर, मन और भावनाओं को शुद्ध रखने में मदद करता है, जिससे एक नैतिक और आध्यात्मिक जीवन जीने में सहायता मिलती है।
Our Mission
Our Mission
Our mission is to provide home delivery of best treatment including painless ,personalized ,modern, result oriented, cost-effective and expert homoeopathy treatment of good standard for all minor and major diseases without any side effects and with very high success rate to the patient and due to this our patient are getting rid of the lifelong medicines.
Our Gallery













Our Treatments
Our Treatments

लाईलाज सिर दर्द
तनाव व डिप्रेशन
चिड़चिड़ापन

कील मुहासे,
दाग धब्बे
चेहरे पर गड्डे, सफेद दाग
जन्म से निशान
एक्जिमा,
सोराइसिस
चमड़ी का बार बार फटना
हर्पिस व साँप जैसी चमड़ी
सिर में फुंसियाँ

अचानक गुस्सा होना
चककर आना
कुछ समय के लिये कुछ भी याद न रहना
शरीर मे झुनझुनी और सनसनी होना
चेहरे,गर्दन और हाथ की मांसपेशियों में बार-बार झटके आना
लगातार ताली बजाना या हाथ रगड़ना
मुँह से झाग या लार बाहर की तरफ निकलना

गांठ व सूजन होना
महावारी
सफेद पानी
खुजली व जलन होना
चेहरे पर बाल होना
असंतुलित हार्मोन
अनिमियत पीरियड्स
मुँहासे
बालों का झड़ना

शीघ्र पतन
गुप्तांग पर घाव फुंसियाँ
घात
सम्बंधो मे अभाव

एजुस्पर्मिया, ओलिगोस्पर्मिया, टेरैटोज़ोस्पर्मिया, अस्थानोजोस्पर्मिया
नपुंसकता, शीघ्रपतन, वैरीकोसेल
ओव्यूलेशन डिसऑर्डर, एंडोक्राइन डिसऑर्डर
ट्यूबल ब्लॉकेज
एंडोमेट्रियोसिस
हार्मोनल असंतुलन
अत्याधिक तनाव
आधुनिक जीवनशैली
शराब या ड्रग का सेवन करना

पथरी
पेशाब में जलन
पेशाब में रूकावट
बार-बार पेशाब आना
प्रोस्टेट

गंजापन
डेन्ड्रफ
बालों का ज्यादा उलझना
बालों का झड़ना

बिस्तर पर पेशाब
बोनापन
दांत निकलते समय दस्त व चिड़चिड़ापन

सीने में दर्द
जलन
सीने में फुलावट
हार्ट ब्लोकेज

पेट में छाले व दर्द होना
आंतो में घाव व दर्द होना
पेट में आफरा व गैस होना
हमेशा कब्ज़ बनी रहना

बार बार छींके व जुकाम
आँखे लाल व खुजली होना
दाफड़ होना
श्वास लेने में तकलीफ
गेहूँ ,धूल मिट्टी से एलर्जी

शारीरिक त्रुटि- दृश्य, भाषण, और श्रवण दोष
सेरेब्रल पाल्सी
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
मल्टीपल स्केलेरोसिस
शारीरिक, विकासात्मक, व्यवहारिक या भावनात्मक और संवेदी विकार

आपके गुर्दे के आसपास सूजन,दर्द व असुविधा
आपके रियर-एंड के पास मास्सा या गाँठ होना
गाँठ का संवेदनशील या दर्दनाक होना
मल त्याग के समय दर्द रहित रक्तस्राव होना

एक या अधिक जोड़ों में तेज दर्द
प्रभावित जोड़ में और उसके आसपास सूजन
प्रभावित जोड़ के ऊपर लाल, चमकदार त्वचा
एनीमिया
हाथ-पैर में गाँठें

दर्द ,बेचैनी व असामान्य सजगता
शारिरिक,गतिशीलता का नुकसान
स्पर्श संवेदना की कमी
सांस लेने व निगलने में कठिनाई
अत्यधिक लार आना
चेहरे के एक तरफ का गिरना
Dr. Pritam Goyal

Dr. Pritam Goyal Homoeopath in Kota (Rajasthan) and has an experience of from 10 years in this field.
Dr. Pritam Goyal practices at Dr. Agrawal Homeopathy Clinic, 80-feet By-pass main road, near hanuman mandir, atwal nagar, kota (Rajasthan).
He completed his B.H.M.S. from India first Medical University Dr. M. P. K. Homeopathic Medical College, Hospital & Research Centre, Jaipur(Rajasthan)
Dr. Pritam Goyal

Dr. Pritam Goyal Homoeopath in Kota (Rajasthan) and has an experience of from 10 years in this field. Dr. Pritam Goyal practices at Dr. Agrawal Homeopathy Clinic, 80-feet By-pass main road, near hanuman mandir, atwal nagar, kota (Rajasthan).
He completed his B.H.M.S. from India first Medical University Dr. M. P. K. Homeopathic Medical College, Hospital & Research Centre, Jaipur(Rajasthan).
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